पितृ त्र्यंबकेश्वर में

त्र्यंबकेश्वर में पंडित दीपक गुरुजी

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पितृ त्र्यंबकेश्वर में
क्‍या है पितृ दोष ?

कुंडली के नवम् भाव में सूर्य और राहु की युति होने पर पितृ दोष योग बनता है। ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार सूर्य और राहु जिस भी ग्रह में बैठते हैं, उस भाव के सभी फल नष्‍ट हो जाते हैं। नौवां घर धर्म का होता है, इसे पिता का घर भी कहा जाता है। माना जाता है कि यदि कुंडली का नौंवां घर खराब ग्रहों से ग्रसित हो तो यह पूर्वजों की अधूरी इच्‍छाओं का सूचक है। इसे ही पितृदोष कहा जाता है।

कारण - अगर आपके द्वारा किसी सत्‍पुरूष, बाह्मण या कुलगुरु का अनादर किया गया है तो आप पितृ दोष से पीडित होते हैं। गोहत्‍या और पितरों को जल अर्पित न करना भी इस दोष का मुख्‍य कारण है।

प्रभावित जातक
  • पितृदोष एक ऐसा दोष है जिसमें जातक की बुद्धि नष्‍ट हो जाती है और उसका जीवन केवल समस्‍याओं के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता है। ये जातक बड़े-बुजुर्गों का अपमान करते हैं और दूसरों की भावनाओं की अवहेलना करने से भी नहीं चूकते। इन्‍हें पैसों की कमी तो रहती ही है साथ ही ये अपने निजी जीवन में भी खुशी नहीं पाते। अधिकतर यह व्‍यक्‍ति मानसिक आघात से परेशान रहते हैं। इस दोष से ग्रस्‍त होने पर जातक अपने परिवारजनों से झगड़ा और घर में क्‍लेश करता है।
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पंडित दीपक गुरुजी त्र्यंबकेश्वर

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